User:Hindustanilanguage/sandbox
सिचुएशनशिप दो शब्दों 'सिचुएशन' और 'रिलेशनशिप' से मिलाकर बना है। जो पूरी तरह सिचुएशन (परिस्थिति / हालात) पर निर्भर करता है। मतलब किसी तरह का कोई दबाव नहीं होता कि किसी उभरते रिलेशनशिप या रिश्ते को चलाने और कमिटमेंट (समर्पित) का रहने का। लोग रोमांस और शारीरिक जरूरतों को पूरा करने के लिए एक साथ आते हैं। वैसे कुछ लोग टाइम पास (समय बिताने) के लिए भी इसमें आते हैं। सिचुएशन में किसी के ऊपर किसी भी तरह की ज़ोर ज़बरदस्ती नहीं होती। आप अपनी मर्जी और खुशी से इस रिश्ते में होते हैं, लेकिन समझ न आए, तो साथी को बिना कुछ वजह बताए या ज़्यादा सोचे छोड़ भी सकते हैं। सिचुएशनशिप व्यक्तिगत विकास के साथ अपने आपको जानने-समझने का भी मौक़ा देती है। कई बार आपको अपनी प्राथकिकताओं के बारे में भी किसी रिश्ते में आने के बाद ही पता लगता है, भले ही वह सिचुएशनशिप क्यों न हो। सिचुएशनशिप में कचकदारी होती है, मतलब कोई वादे, दिखावे नहीं करने पड़ते और न ही एक-दूसरे से सवाल-जवाब का चक्कर होता है। कई मायनों में ये अच्छा है[1], जब लोग किसी लम्बे रिश्ते के लिए तय्यार न हों।
सिचुएशनशिप में अक्सर एक व्यक्ति रिश्ते में अधिक ज़ोर लगाने का काम किया जाता है जबकि वह दूसरे व्यक्ति से समर्पित रूप से जुड़े रहने दूर रहता है। यह असमानता व्यक्ति के आत्म-सम्मान को प्रभावित कर सकती है। रिश्ते के प्रकार समझने से आप आत्म-सम्मान और आज़ादी को बनाए रखते हुए निर्णय ले सकते हैं।[2] अत: यह पूर्णत: व्यक्तियों की मंशा पर है।